Add To collaction

लेखनी कहानी -29-Nov-2022

एक वादा निभाने का वादा

अकसर वादा कर लोग भूल जाते हैं
जब निभाना नहीं आता तो वादा क्यों करते हैं!
तोड़ वादा गिर कर निगाहों में किसी की
अपना विश्वास भी खोते हैं।
प्रकृति से क्यों न सीखते हैं
कैसे वादे निभाए जाते हैं!
ढलता है सूर्य अगले दिन उदय के वादे के साथ 
आता है चाँद हर शाम सूर्य के जाने के बाद।
दिन बदलते हैं ऋतुएं बदलती हैं दोबारा फिर लौटने के वादे के साथ। 
जन्म होता है मृत्यु भी अवश्य होती है
परन्तु देह फिर मिलती है नए जन्म के साथ।
फिर क्यों नर वादा तोड़ देते हैं 
न निभा पाए तो वादा भुला देते हैं।
था ऐसा भी एक समय जब वादों पर जीवन चलता था
कहीं टूट न जाए किया हुआ वादा नर चिंतित रहता था।
था रघुकुल जहाँ प्राणों से ज्यादा महत्व वादों का होता था
सुना तो सभी ने होगा 
रघुकुल रीत सदा चली आयी प्राण जाए पर वचन न जाए।
फिर क्यों आज वही नर वचन निभाना भूल गया
वादे से ज्यादा स्वार्थ के कहीं खो गया।
चलो फिर आज इस वादा दिवस पर एक वादा करते हैं
सदा निभाएंगे हम वादा बस यही वादा लेते हैं।

श्वेता दूहन देशवाल 
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
#यादों का झरोखा
#2022

   10
1 Comments

Mahendra Bhatt

03-Dec-2022 07:55 AM

बहुत खूब

Reply